name='viewport'/> link rel=“canonical”href=“https://ahiredeepak.blogspot.com/” /> स्व-काव्यांकुर (SWA-KAVYANKUR): प्रिय दादा...

प्रिय दादा...

प्रिय दादा 

प्रिय दादा                        
आज 'ब्रदर डे',                 
विणू या आपण                
मैत्रीचे निरपेक्ष कडे...      
प्रिय दादा
आपलेपण जाणताे, 
काेण कसं आता
नुसतं कण्हत बसताे... 
प्रिय दादा                       
बालपणी हाेते जवळ,       
पाहून आता निघते          
पाेटात आपली कळ...      
प्रिय दादा
आपलं नातं रक्ताचं, 
समजायचं एकमेकांना
नव्याने जाणून घ्यायचं...

© दीपक अहिरे, नाशिक

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