name='viewport'/> link rel=“canonical”href=“https://ahiredeepak.blogspot.com/” /> स्व-काव्यांकुर (SWA-KAVYANKUR): काही पानटा (kahi paanta)

काही पानटा (kahi paanta)

काही पानटा 
Kahi paanta

(अहिराणी भाषानी कविता)
Ahirani language poem

Kahi paanta



काही पानटा भराना, ह्यातंस वहिना,

काही पानटा  वाढाना, ह्यातंस जेवाना... 


काही पानटा  रंगाडना, ह्यातंस पान खावाना,

काही पानटा  जाळाना, ह्यातंस पालापाचोळाना... 


काही पानटा  जपाना, ह्यातंस पिंपळना,

काही पानटा  कुटाना, ह्यातंस पुदिनाना... 


काही पानटा  लुटाना, ह्यातंस आपटाना, 

काही पानटा  खुडाना, ह्यातंस चहाना... 

काही पानटा  सजाडाना, ह्यातंस आंबाना,

काही पानटा  माळतसना, ह्यातंस केवडाना... 


काही पानटा  जोडाना, ह्यातंस पुरवणीना, 

काही पानटा  लपाडाना, ह्यातंस प्रगतीपुस्तकना... 


काही पानटा  दुमाडाना, ह्यातंस दुखना, 

काही पानटा  उघाडाना, ह्यातंस सुखना... 


© दीपक केदू अहिरे, नाशिक

कोणत्याही टिप्पण्‍या नाहीत:

टिप्पणी पोस्ट करा

उठा उठा दिवाळी आली (Suddenly Diwali came)

उठा उठा दिवाळी आली Suddenly Diwali came उठा उठा दिवाळी आली, धनत्रयोदशीने सुरुवात झाली  आजच्या दिवशी करा यमदीपदान,  आज असतो धन्वंतरीला मान  उ...