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चित्रकार...

चित्रकार

चित्रकार काढताे              
चित्र भावभावनांचे,           
करा काैतुक त्याच्या           
अभिनव कुंचल्याचे...        

चित्रकार ओतताे
चित्रात सारा जीव,
बघणार्याला वाटते
आहे कसे ते सजीव...

चित्रकार टिपताे               
रंग रेषा मनस्वी,                 
दाद द्या काैतुकाने             
चित्रांचा ताे तपस्वी...        

चित्रकार आहे
चित्रसृष्टीचा नियंता,
नमस्कार त्याला माझा
या कुंचल्याचा भगवंता...

© दीपक अहिरे, नाशिक

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