name='viewport'/> link rel=“canonical”href=“https://ahiredeepak.blogspot.com/” /> स्व-काव्यांकुर (SWA-KAVYANKUR): मना गावनी जत्रा (अहिराणी कविता)My Village Fair (Ahirani poem)

मना गावनी जत्रा (अहिराणी कविता)My Village Fair (Ahirani poem)

मना गावनी जत्रा  
(अहिराणी कविता)

My Village Fair (Ahirani poem)

My Village Fair


मना गावनी जत्रा
घुमाडतस काठी,
देवमाऊलीसले निवतनं
म्हसोबा ह्रास सदा पाठी...


मना गावनी जत्रा
तमाशा रंगस रातले,
चावदस व्हस् साजरा
मांसाहार ह्रास दुपारले...


मना गावनी जत्रा
कधी दुकान जिलेबीनं,
सर्वा गावना गोतावळा
कसे व्हस एकमेकले भेटणं...


मना गावनी जत्रा
अखंड परंपरा से इथली,
आख्खं गाव फोडस नारळ
मज्जा ह्रास आठे कितली...


© दीपक केदू अहिरे, 

आनंदपुर

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