name='viewport'/> link rel=“canonical”href=“https://ahiredeepak.blogspot.com/” /> स्व-काव्यांकुर (SWA-KAVYANKUR): परतीचा प्रवास...

परतीचा प्रवास...

परतीचा प्रवास   

परतीचा प्रवास               
असताे शाेधक,              
कुणालाही नसताे           
ताे साधक-बाधक।।      

परतीचा प्रवास
राहताे आठवणीत,
शाेधते विराणी
जगण्याच्या मैफलीत।।

परतीचा प्रवास               
लेखाजोखा मांडताे,        
आवश्यक परिमार्जन       
आनंदही ओसंडताे।।      

परतीचा प्रवास
व्हावा ताे सुखकर,
जीवन जगतांना
दुःख मिळते भयंकर।।

© दीपक अहिरे, नाशिक

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